कविता हिंदी में: जीवन का कटु सत्य| Kaavyalaya – Poems that Touch the Heart – by Sadhna Jain

जीवन का कटु सत्य is a Short Hindi Poem written by Sadhna Jain.

बचपन is a Short Hindi Poem written by Sadhna Jain.



जीवन का कटु सत्य


मेरा-मेरा मत कर प्राणी, कुछ तेरा ना मेरा है,
कल था किसी का, वो आज है तेरा, कल सौप इसे चल देना है,
 
खुशियो से यदि भरा हो जीवन, तो ज्ञानी इसको तजते क्यो,
समय के हाथ मे हम सब कठपुतली, पल-पल नाचे टुमक-टू,
 

जीवन के चौराहे पर, डगर प्रभु की दिखे नही,
सत्कमों का जहाँ गिरे पसीना, महापुरुषो के चरण वही,
 
जीवन संध्या हो न जाए, प्रभु के चरणो मे अलख जगा,
माया-मोह के तोड के ताले, निज स्वरुप मे रमता जा,
 
क्षीण हो रही निशदिन काया, जिव्हा फिर भी क्यो कटु वचन कहे,
अपनी मर्जी से तू जिया उम्र-भर, अब अपनो के पथ मे क्यो कांटे बुने,
 
मुट्ठी बांध आया तू जग मे, हाथ पसारे जाना है,
तिनका भी वहाँ संग न जाए, फिर धन- दौलत का क्यो मान करे,
 
दया-धर्म ही सच्चे साथी, संग-संग ये ही जाऐगे,
फूल सरीखी कोमल जिनकी वाणी, उनके जीवन-पथ को महका देगे,
ये राहें सरल बना देगे, ये राहे सरल बना देगे,
                                                                                 

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कविता हिंदी में: बेटी | Kaavyalaya – Poems that Touch the Heart – by Sadhna Jain

बेटी is a Short Hindi Poem written by Sadhna Jain. Kaavyalaya – Poems that Touch the Heart

बेटी is a Short Hindi Poem written by Sadhna Jain.




बेटी

बेटी एक पुष्प की तरह होती है,
खिलती है बाबुल के आंगन मे, महका पिया का घर देती है,
 
वो बचपन के खेल, वो गुडियो का मेल,
होली के रंग, दीवाली के बम,
भाईयो से लडना, अकडना, मटकना,
न जाने कहाँ खो जाता है, जब माँ के आंचल का साया,
पिया की चुनर मे बदल जाता है,
 
आंखे देखो, अब इसकी शर्म से झुकी जाती है,
सिन्दूर की लाली, गालों पर छाई जाती है,
नए रिश्तो के धागों से, आशियाना बुन रही है,
मेरी नन्ही सी गुडिया, न जाने कब सयानी हो चली है,
 
सारे जग की खुशियाँ हो न्यौछावर तुम पर,
हर दिल मे रहो तुम, एक मीठा सा अहसास बनकर,
हर रूप को नारी के, तुम साकार करना,
कभी अल्हड नदी, कभी शांत समुन्दर बन चलना
                                                                       

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कविता हिंदी में: बचपन | Kaavyalaya – Poems that Touch the Heart – by Sadhna Jain

बचपन is a Short Hindi Poem written by Sadhna Jain.

बचपन is a Short Hindi Poem written by Sadhna Jain.



बचपन के रिश्तो मे प्यार भरा होता है,
ठोकर लगे कभी जो भाई को, तो दर्द बहन को होता है,
 
बहन हो बडी तो दोस्त बन जाती है,
छोटी हो अगर तो नखरे उठवाती है,
राखी के धागों मे, प्यार गूंथ लाती है,
मंगल तिलक कर अमंगल भगाती है,
 
बचपन के नाम से ही, वो दिन याद आते है,
खट्टी-मीठी ढेरो यादे, आंखो मे भर जाते है,
 
हिसाब का पेपर तब बहुत रूलाता था,
ऊपर से पिताजी की डांट पडवाता था,
 
बनिये की बेटी होकर, हिसाब से डरती है, देख तेरे भाई के 100 मे से 80 है,
सारे साल कक्षा मे, क्या सोती रही, जो पेपर के दिन सुबह से रोती है,
 
उस दिन भाई ने बडे प्यार से समझाया था, डर मत, ध्यान से पढ, कह कर मनाया था, 100 मे से 70 पाए, भाई का कमाल था, सब ने बधाई दी, खुल कर
हंसी आई थी,
 
ताजी हवा के झोके सा, होता है ये बचपन
उम्र का चाहे कोई भी पडाव हो, ठंडक का अहसास कराए ये बचपन

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