बचपन is a Short Hindi Poem written by Sadhna Jain.
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बचपन के रिश्तो मे प्यार भरा होता है, ठोकर लगे कभी जो भाई को, तो दर्द बहन को होता है, बहन हो बडी तो दोस्त बन जाती है, छोटी हो अगर तो नखरे उठवाती है, राखी के धागों मे, प्यार गूंथ लाती है, मंगल तिलक कर अमंगल भगाती है, बचपन के नाम से ही, वो दिन याद आते है, खट्टी-मीठी ढेरो यादे, आंखो मे भर जाते है, हिसाब का पेपर तब बहुत रूलाता था, ऊपर से पिताजी की डांट पडवाता था, बनिये की बेटी होकर, हिसाब से डरती है, देख तेरे भाई के 100 मे से 80 है, सारे साल कक्षा मे, क्या सोती रही, जो पेपर के दिन सुबह से रोती है, उस दिन भाई ने बडे प्यार से समझाया था, डर मत, ध्यान से पढ, कह कर मनाया था, 100 मे से 70 पाए, भाई का कमाल था, सब ने बधाई दी, खुल कर हंसी आई थी, ताजी हवा के झोके सा, होता है ये बचपन उम्र का चाहे कोई भी पडाव हो, ठंडक का अहसास कराए ये बचपन
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